What is Marine Protected Areas (MPAs) ?समुद्र की पारिस्थितिकी तंत्र पर संकट/ समुद्री संरक्षित क्षेत्र

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June 17, 2025

What is Marine Protected Areas (MPAs) ?समुद्र की पारिस्थितिकी तंत्र पर संकट/ समुद्री संरक्षित क्षेत्र

Why in News? The ocean is a vital component of Earth, serving as a hub of biodiversity and playing a crucial role in regulating the global climate. It is home to fish, coral reefs, marine plants, and various other organisms. However, human activities have led to a severe crisis in the marine ecosystem. Pollution, overfishing, climate change, and the reckless exploitation of marine resources are the primary causes.

Relevance : UPSC Pre &  Mains

Prelims : MPAs/All important treaty/conventions etc

Mains :   GS 3/ Environment

Causes:

Pollution:

    • Plastic waste in the ocean is a major issue, with approximately 8 million tons of plastic dumped into the ocean annually.
    • Oil spills are highly destructive to marine life. For example, the 2010 Deepwater Horizon oil spill in the Gulf of Mexico killed millions of marine organisms.
    • Industrial and chemical waste dumped into the ocean makes the water toxic.

Climate Change:

    • Rising ocean temperatures due to global warming are causing coral bleaching, leading to the death of coral reefs.
    • Ocean acidification is adversely affecting shellfish and other marine species.
    • Melting glaciers are raising sea levels, which damages coastal ecosystems.

Overfishing:

    • Excessive fishing has pushed many species to the brink of extinction.
    • This disrupts the food chain, impacting the entire ecosystem.

Habitat Destruction:

    • Unplanned coastal development, such as port construction and tourism, is destroying mangrove forests and coral reefs.
    • Mangroves serve as breeding grounds for marine life, and their destruction significantly affects marine biodiversity.

Impacts:

Impact on Biodiversity:

    • The population of marine species is declining rapidly. For example, several shark species are now endangered.
    • Coral reefs, which support 25% of marine life, are being destroyed at an alarming rate.

Impact on Human Life:

    • Communities dependent on fishing for their livelihood are at risk. Around 3 billion people worldwide rely on seafood for their protein needs.
    • Rising sea levels and the loss of mangroves and coral reefs have increased the frequency of floods and storms in coastal areas, as these natural barriers can no longer provide protection.

Economic Impact:

    • Marine tourism and the fishing industry are suffering significant losses.
    • According to the World Bank, the degradation of marine ecosystems causes a global economic loss of $200 billion annually.

 Solutions:

Pollution Control:

    • Reduce plastic usage and launch campaigns for ocean cleanup.
    • Enforce strict regulations to prevent the dumping of industrial waste into the ocean.

Sustainable Fishing:

    • Set quotas for fishing and crack down on illegal fishing activities.
    • Establish Marine Protected Areas (MPAs) to conserve marine biodiversity.

Tackling Climate Change:

    • Promote renewable energy to reduce carbon emissions.
    • Use scientific techniques for coral restoration to revive damaged reefs.

Awareness and Education:

    • Raise awareness about the importance of marine ecosystems.
    • Involve local communities in conservation efforts.
 About Marine Protected Areas (MPAs) :

They are designated regions of the ocean where human activities are regulated to conserve marine ecosystems, biodiversity, and resources. They aim to protect habitats, species, and ecological processes while often supporting sustainable fisheries and cultural values.

Key Points:

  • Purpose: Safeguard marine biodiversity, restore ecosystems, and support fisheries by preserving critical habitats like coral reefs, mangroves, and seagrass beds.
  • Global Coverage: As of recent data, MPAs cover about 8.2% of the global ocean, with a target of 30% by 2030 under the Global Biodiversity Framework.
  • Types:
    • No-take MPAs: Prohibit all extractive activities (e.g., fishing, mining).
    • Multiple-use MPAs: Allow regulated activities like sustainable fishing or tourism.
    • Marine Reserves: Highly protected areas, often fully no-take.

 

समाचार में क्यों?समुद्र पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो जैव विविधता का केंद्र है और वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यहाँ मछलियाँ, प्रवाल भित्तियाँ (कोरल रीफ्स), समुद्री पौधे और अन्य जीव-जंतु निवास करते हैं। लेकिन मानवीय गतिविधियों के कारण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना, जलवायु परिवर्तन और समुद्री संसाधनों का अंधाधुंध दोहन इसके मुख्य कारण हैं। इस संकट का प्रभाव न केवल समुद्री जीवन पर पड़ रहा है, बल्कि मानव जीवन और अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।

कारण (Causes):

प्रदूषण (Pollution):

    • समुद्र में प्लास्टिक कचरे का बढ़ता स्तर एक बड़ी समस्या है। हर साल लगभग 80 लाख टन प्लास्टिक समुद्र में फेंका जाता है।
    • तेल रिसाव (Oil Spills) भी समुद्री जीवन को नष्ट करता है। उदाहरण: 2010 में मैक्सिको की खाड़ी में डीपवाटर होराइजन तेल रिसाव ने लाखों समुद्री जीवों को मार डाला।
    • औद्योगिक और रासायनिक अपशिष्ट समुद्र में डाले जाते हैं, जिससे पानी जहरीला हो जाता है।

जलवायु परिवर्तन (Climate Change):

    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे प्रवाल भित्तियाँ मर रही हैं (कोरल ब्लीचिंग)।
    • समुद्र के अम्लीकरण (Ocean Acidification) से शेलफिश और अन्य समुद्री जीवों पर बुरा असर पड़ रहा है।
    • ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है।

अत्यधिक मछली पकड़ना (Overfishing):

    • मछलियों की अंधाधुंध पकड़ से कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं।
    • इससे खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है, जिसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है।

 

आवास विनाश (Habitat Destruction):

    • तटीय क्षेत्रों में अनियोजित विकास, जैसे बंदरगाह निर्माण और पर्यटन, मैंग्रोव वनों और प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर रहा है।
    • मैंग्रोव वन समुद्री जीवन के लिए प्रजनन स्थल होते हैं, और इनका विनाश समुद्री जैव विविधता को प्रभावित करता है।

प्रभाव (Impacts):

जैव विविधता पर प्रभाव (Impact on Biodiversity):

    • समुद्री प्रजातियों की संख्या में कमी आ रही है। उदाहरण के लिए, कई शार्क प्रजातियाँ खतरे में हैं।
    • प्रवाल भित्तियाँ, जो 25% समुद्री जीवन का घर हैं, तेजी से नष्ट हो रही हैं।

मानव जीवन पर प्रभाव (Impact on Human Life):

    • मछली पकड़ने पर निर्भर समुदायों की आजीविका खतरे में है। विश्व में लगभग 3 अरब लोग अपनी प्रोटीन आवश्यकता के लिए समुद्री भोजन पर निर्भर हैं।
    • तटीय क्षेत्रों में बाढ़ और तूफान की घटनाएँ बढ़ रही हैं, क्योंकि मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियाँ प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रही हैं।

आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):

    • समुद्री पर्यटन और मत्स्य उद्योग को नुकसान हो रहा है।
    • विश्व बैंक के अनुसार, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण से वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष 200 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है।

समाधान (Solutions):

प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Control):

    • प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और समुद्र की सफाई के लिए अभियान चलाना।
    • औद्योगिक अपशिष्ट को समुद्र में डालने से रोकने के लिए सख्त नियम लागू करना।

सतत मछली पकड़ना (Sustainable Fishing):

    • मछली पकड़ने पर कोटा निर्धारित करना और अवैध मछली पकड़ने पर रोक लगाना।
    • समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas) स्थापित करना।

जलवायु परिवर्तन से निपटना (Tackling Climate Change):

    • कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना।
    • प्रवाल भित्तियों को पुनर्जनन (Coral Restoration) के लिए वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना।

जागरूकता और शिक्षा (Awareness and Education):

    • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना।
    • स्थानीय समुदायों को संरक्षण गतिविधियों में शामिल करना।
समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas – MPAs):

समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPAs) समुद्र के ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मानव गतिविधियों को समुद्री पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, और संसाधनों के संरक्षण के लिए विनियमित किया जाता है। इनका उद्देश्य आवास, प्रजातियों और पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं की रक्षा करना है, साथ ही स्थायी मत्स्य पालन और सांस्कृतिक मूल्यों का समर्थन करना भी है।

मुख्य उद्देश्य:

  • जैव विविधता की सुरक्षा: समुद्री जैव विविधता को बचाना।
  • पारिस्थितिक तंत्र की बहाली: प्रवाल भित्तियों, मैन्ग्रोव और समुद्री घास के मैदान जैसे महत्वपूर्ण आवासों को संरक्षित कर पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित करना।
  • मत्स्य पालन का समर्थन: मछलियों के प्रजनन और पालन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संरक्षित करना।

वैश्विक कवरेज (Global Coverage):

  • वर्तमान स्थिति: नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, MPAs विश्व महासागरों के लगभग 8.2% हिस्से को कवर करते हैं।
  • लक्ष्य: ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के तहत 2030 तक 30% महासागरों को कवर करने का लक्ष्य।

प्रकार (Types of MPAs):

नो-टेक MPAs (No-take MPAs):

    • सभी प्रकार की निकासी गतिविधियों (जैसे, मछली पकड़ना, खनन)  पर प्रतिबंध।

मल्टीपल-यूज MPAs (Multiple-use MPAs):

    • विनियमित गतिविधियाँ जैसे स्थायी मत्स्य पालन और पर्यटन को अनुमति।

मरीन रिज़र्व (Marine Reserves):

    • अत्यधिक संरक्षित क्षेत्र, अक्सर पूरी तरह से नो-टेक

सप्लीमेंट्री मुआवजा सम्मेलन (सीएससी):

समाचार में क्यों? एक फ्रांसीसी निजी कंपनी और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण से संबंधित चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं।

प्रासंगिकता: प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा:

  • प्रारंभिक: एनपीसीआईएल, सीएलएनडीए, सीएससी
  • मुख्य: सामान्य अध्ययन 3

परमाणु दायित्व कानून को समझना:

  • परमाणु दायित्व कानून परमाणु घटनाओं या आपदाओं से होने वाले नुकसान के पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित करते हैं।
  • 1986 के चेर्नोबिल हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु दायित्व ढांचे को मजबूत किया गया, जिसमें कई संधियाँ शामिल हैं।
  • सप्लीमेंट्री मुआवजा सम्मेलन (सीएससी): 1997 में अपनाया गया, यह न्यूनतम राष्ट्रीय मुआवजा राशि स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। भारत ने 2010 में सीएससी पर हस्ताक्षर किए और 2016 में इसे अनुमोदित किया।
  • वियना सम्मेलन: शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए वित्तीय सुरक्षा के न्यूनतम मानक तय करता है।
  • भारत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप 2010 में सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट (सीएलएनडीए) लागू किया।

सीएलएनडीए 2010 की मुख्य विशेषताएँ:

  • शीघ्र मुआवजा: परमाणु घटनाओं के पीड़ितों के लिए तेजी से मुआवजा प्रक्रिया।
  • पूर्ण और दोषमुक्त दायित्व: ऑपरेटर को दोष की परवाह किए बिना नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
  • प्रतिगमन का अधिकार: यदि घटना आपूर्तिकर्ता या उनके कर्मचारियों की कार्रवाई के कारण होती है, तो ऑपरेटर मुआवजा मांग सकता है।
  • आपूर्तिकर्ता दायित्व: दोषपूर्ण उपकरण, सामग्री, या घटिया सेवाओं के लिए आपूर्तिकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराता है।
  • मुआवजा राशि: न्यूनतम 1,500 करोड़ रुपये का मुआवजा, जो बीमा या वित्तीय सुरक्षा द्वारा कवर किया जाता है।
  • अतिरिक्त मुआवजा: 1,500 करोड़ से अधिक के नुकसान के लिए 2,100 से 2,300 करोड़ रुपये।
  • भारत में परमाणु रिएक्टर: भारत में 22 परमाणु रिएक्टर हैं, सभी एनपीसीआईएल द्वारा संचालित।

वर्तमान चुनौतियाँ:

  • अनूठा आपूर्तिकर्ता दायित्व: सीएलएनडीए आपूर्तिकर्ताओं को नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराता है, जो चिंता का विषय है।
  • बीमा अस्पष्टता: नुकसान के दावों के लिए बीमा राशि को लेकर अनिश्चितता।
  • आपराधिक दायित्व: आपराधिक दायित्व की संभावना कई कंपनियों को भारत में रिएक्टर बनाने से रोकती है।
  • परमाणु नुकसान की अस्पष्ट परिभाषा: परमाणु नुकसान की स्पष्ट परिभाषा का अभाव भ्रम पैदा करता है।
  • ऑपरेटर बनाम आपूर्तिकर्ता दोष: उपकरण मरम्मत के दौरान ऑपरेटर की गलती से होने वाले नुकसान के लिए भी आपूर्तिकर्ता जिम्मेदार हो सकते हैं।

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