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डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिएG.S. Paper-II
हालाँकि, श्रीलंका में सशस्त्र संघर्ष की समाप्ति वर्ष 2009 में हो गयी थी, लेकिन हजारों तमिल नागरिकों की मौतों, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘खूनी-स्नान’ / ‘ब्लडबाथ’ (bloodbath) कहा गया था, के लिए प्राप्त ‘दण्ड मुक्ति’ पर, उस समय से, मानवाधिकार परिषद एजेंडे का संघर्ष जारी है।
श्रीलंका में तत्कालीन राष्ट्रवादी सिंहली सरकार के शासन में, अल्पसंख्यक तमिलों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। देश में पहले से बनी हुई इस दरार में, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम के नेतृत्व में चरमपंथ ने ईंधन का काम किया, जिससे देश वर्षों तक गृहयुद्ध की आग में उलझा रहा।
श्रीलंका फ्रीडम पार्टी में नेतृत्व वाली पिछली श्रीलंकाई सरकार द्वारा वर्ष 2013 में सम्मिलित रूप से एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमे, तीन दशक लंबे गृहयुद्ध के अंतिम चरण, मई 2009 में, सरकारी बलों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम द्वारा किये गए तथाकथित युद्ध-अपराधों के लिए उत्तरदायी ठहराने की मांग की गयी थी।
हाल ही में, श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (SLPP) के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से वापस ले लिया है।