

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट सर्वेक्षण
30th October, 2020
G.S. Paper-II
संदर्भ:
हाल ही में, सितंबर माह में किए गए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (Annual State of Education Report– ASER) सर्वेक्षण के परिणाम जारी किये गए हैं।
यह सर्वेक्षण, भारत के ग्रामीण छात्रों की ‘प्रौद्योगिकी के विभिन्न स्तरों तक पहुँच, स्कूल और परिवार के संसाधनों में भिन्नता के परिणामस्वरूप होने वाले शिक्षा में डिजिटल विभाजन के कारण पढाई में होने वाले नुकसान का अनुमान प्रस्तुत करता है।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) के बारे में:
- असर (Annual Status of Education Report-ASER) ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों द्वारा पढ़ सकने और गणित के प्रश्नों को हल करने की क्षमतापर आधारित, ग्रामीण शिक्षा और अध्ययन परिणामों का एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- यह सर्वेक्षण शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थगैर–लाभकारी संस्था ‘प्रथम‘ द्वारा पिछले 15 वर्षों से प्रतिवर्ष कराया जाता है। इस वर्ष, सर्वेक्षण फोन कॉल के माध्यम से आयोजित किया गया था।
प्रमुख निष्कर्ष- कोविड-19 महामारी का प्रभाव-
- सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग20% ग्रामीण बच्चों के पास घर पर कोई पाठ्यपुस्तकें नहीं है। आंध्र प्रदेश में, 35% से कम बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें थीं। पश्चिम बंगाल, नागालैंड और असम में 98% से अधिक बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें थीं।
- सर्वेक्षण सप्ताह के दौरान, लगभग प्रति तीन में से एक ग्रामीण बच्चे द्वारा पढाई संबंधी कोई कार्य नहीं किया गया था।
- सर्वेक्षण सप्ताह में, लगभगतीन में से दो बच्चों के पास उनके विद्यालय द्वारा दी गई कोई भी पढाई संबंधित सामग्री या कार्य नहीं था, और प्रति दस छात्रों में से केवल एक को लाइव ऑनलाइन कक्षा की सुविधा उपलब्ध थी।
- स्मार्टफोन की सुविधा प्राप्त बच्चों में से एक तिहाई बच्चोंको पढाई संबंधित सामग्री नहीं मिली थी।
- 6-10 वर्ष की आयु के3% ग्रामीण बच्चोंने इस वर्ष अभी तक स्कूल में दाखिला नहीं लिया था।
- 15-16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के मध्य2018 की तुलना में नामांकन स्तर थोड़ा अधिक था।
- सरकारी स्कूलों में नामांकन अपेक्षाकृत अधिक रहा, जबकि निजी स्कूलों में, सभी आयु-वर्गों के छात्रों की, नामांकन में गिरावट देखी गयी।
- लगभग 62% स्कूली बच्चों वाले ग्रामीण परिवारों के पास स्मार्टफोन थे। लॉकडाउन के बाद लगभग 11% परिवारों द्वारा एक नया फोन खरीदा गया, जिसमें से 80% स्मार्टफोन थे।
संयुक्त संसदीय समिति
G.S. Paper-II
संदर्भ:
डेटा संरक्षण विधेयक (Data Protection Bill) की समीक्षा के लिये गठित संसद की संयुक्त समिति (Joint Parliamentary Committee (JPC) द्वारा ‘ट्विटर इंक’ (Twitter Inc), अमेरिका स्थित मूल कंपनी, से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लद्दाख को चीन के हिस्से के रूप में दिखाने के संबंध में हलफनामे के रूप में स्पष्टीकरण माँगा गया है।
संबंधित प्रकरण-
- मानचित्र का त्रुटिपूर्ण प्रदर्शन केवल भारत अथवा भारतीयों की संवेदनशीलता का मामला नहीं है, यहभारत की संप्रभुता और अखंडता का मामला है और इसका सम्मान नहीं करना एक आपराधिक कृत्य है।
- भारतीय मानचित्र को अनुचित और गलत तरीके से दिखानाराजद्रोह का अपराध है जिसके लिए सात जेल की सजा का प्रावधान है।
संयुक्त संसदीय समिति के बारे में:
संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) का गठन संसद के समक्ष प्रस्तुत किसी विशेष विधेयक की जाँच करने अथवा किसी सरकारी कार्यवाही में हुई वित्तीय अनियमितताओं की जाँच के उद्देश्य से किया जाता है।
संयुक्त संसदीय समिति (JPC) एक तदर्थ समिति (Ad–hoc committee) होती है।
इसका गठन एक निश्चित समयावधि के लिए किया जाता है और इसका उद्देश्य किसी विशिष्ट मामले का समाधान करना होता है।
संयुक्त संसदीय समिति की संरचना-
- संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन करने हेतुसंसद के एक सदन में प्रस्ताव पारित किया जाता है जिसका दूसरे सदन द्वारा अनुमोदन किया जाता है।
- समिति केसदस्यों की नियुक्ति के संबंध में निर्णय संसद के द्वारा किया जाता है
- समिति केसदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती है। प्रायः समिति में लोकसभा सदस्यों की संख्या राज्यसभा सदस्यों की संख्या से दोगुनी होती है।
शक्तियां और कार्य –
- संयुक्त संसदीय समिति कोमौखिक या लिखित रूप में साक्ष्य इकट्ठा करने तथा संबंधित मामले में दस्तावेज़ों की मांग करने का अधिकार होता है।
- जनहित के मामलों को छोड़कर समिति कीकार्यवाही और निष्कर्ष को गोपनीय रखा जाता है।
- सरकार, राज्य की सुरक्षा या देश के हित के लिये आवश्यक प्रतीत होने पर किसीदस्तावेज़ को वापस लेने का निर्णय ले सकती है
- समिति, जांच से संबंधित व्यक्तियों को पूछतांछ करने हेतु अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए बुला सकती है।
- हालाँकि साक्ष्य के लिये बुलाये जाने पर किसी विवाद की स्थिति में मेंअध्यक्ष के निर्णय अंतिम होता है।
- संसद को अपनीरिपोर्ट सौंपने के बाद JPC भंग हो जाती है।
न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण
G.S. Paper-II
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) शरद ए. बोबडे ने न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण का दुरुपयोग किये जाने के संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त की है।
प्रमुख बिंदु:
- भारत के महान्यायवादी (Attorney general) के.के. वेणुगोपाल ने न्यायालयों की कार्यवाही तक सभी की पहुँच को आसान बनाने के लिये इसे लाइव प्रसारित किये जाने पर बल दिया था।
- गौरतलब है कि हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा प्रयोगात्मक आधार पर अपनी अदालती सुनवाई का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर किया गया था।
- गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रयोग के परिणाम के आधार पर लाइव प्रसारण को जारी रखने या इसके तौर-तरीकों के निर्धारण पर निर्णय लिया जाएगा।
- मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जानी चाहिये साथ ही न्यायालय की कार्यवाही के लाइव प्रसारण से इसके दुरुपयोग का भय भी बना रहेगा।
पृष्ठभूमि:
- गौरतलब है कि वर्ष 2018 में स्वप्निल तिवारी बनाम भारतीय उच्चतम न्यायालय मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से माना था कि नागरिकों द्वारा न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण देखने की सुविधा संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्राप्त न्याय तक पहुँच के अधिकार का हिस्सा है।
- COVID-19 महामारी के कारण देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई की जा रही है।
- इन सुनवाइयों के दौरान अधिवक्ताओं, पीड़ित और आरोपी पक्ष, गवाह आदि को शामिल होने की सुविधा प्रदान की गई है।
- 6 अप्रैल, 2020 को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण और वेब आधारित सुनवाई के लिये 7 दिशा निर्देश जारी किये थे।
- उच्चतम न्यायालय की‘ई-समिति’ द्वारा निर्धारित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चल रही अदालती कार्यवाही को जनता को देखने की अनुमति देने की बात कही गई है।
- इससे पहले वर्ष 2019 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरीदाबाद में अपना पहला आभासी न्यायालय/वर्चुअल कोर्ट (Virtual Court) याई-कोर्ट लॉन्च किया था।
लाभ:
- न्यायालयों की कार्यवाही के लाइव प्रसारण से न्यायालय तक लोगों की पहुँच को आसान बनाया जा सकेगा।
- इसके माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और इसके प्रति लोगों का विश्वास भी मज़बूत होगा।
- लाइव प्रसारण के माध्यम से लोग विश्व में किसी भी स्थान पर रहते हुए अपने मामले की निगरानी कर सकेंगे जिससे धन और समय की बचत होगी।
- न्यायालय की कार्यवाही के प्रसारण से इसकी कार्यप्रणाली और कानून के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी तथा किसी विवाद के मामले में न्यायालय जाने के संदर्भ में उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
चुनौतियाँ:
- न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं के साथ कुछ मामलों (जैसे-वैवाहिक विवाद और यौन उत्पीड़न के मामले) में लोगों की निजता के अधिकार को भी प्रभावित कर सकता है।
- इसके साथ ही न्यायालय की कार्यवाही का अनधिकृत पुनर्प्रसारण, इसका व्यावसायीकरण या इसके दुरूपयोग से जुड़े अन्य मुद्दे भी चिंता का विषय हैं।
आगे की राह:
- न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- न्यायालय की कार्यवाही का लाइव प्रसारण बहुत ही संवेदनशील विषय है ऐसे में इसमें सभी प्रकार की सावधानियों को ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक है, उदाहरण के लिये- गुजरात उच्च न्यायालय में किसी अप्रिय या असुविधाजनक सामग्री को लाइव जाने से रोकने के लिये न्यायालय की कार्यवाही और इसके प्रसारण में 20 सेकेंड का विलंब सुनिश्चित किया जाता है।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
हार्पून तटीय रक्षा प्रणाली
संदर्भ:
अमेरिका द्वारा 2.4 बिलियन डॉलर मूल्य की हार्पून रक्षा प्रणाली ताइवान बेची जा रही है।
प्रमुख तथ्य:
हार्पून एक प्रत्येक मौसम में कार्य करने में सक्षम,ओवर-द-हराइज़न, एंटी-शिप मिसाइल है, जिसे मैकडॉनेल डगलस (बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी) द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है।