

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
वेनेजुएला के नागरिकों को कोलंबिया में अस्थायी वैधानिक दर्जा
G.S. Paper-II
संदर्भ:
हाल ही में, कोलंबियाई राष्ट्रपति इवान डुके ने घोषणा की है, कि वेनेजुएला के नागरिकों को अगले दस वर्षों के लिए ‘अस्थायी संरक्षित दर्जा (temporary protected status) प्रदान किया जाएगा। कोलंबियाई राष्ट्रपति के इस निर्णय को “ऐतिहासिक” कहा जा रहा है।
- यह ‘अस्थायी सुरक्षा क़ानून’ (temporary protection statute), वेनेजुएला में तानाशाही के कारण पलायन करने वाले प्रवासियों के लिए बनाया गया है।
- यह फैसला, पिछले कुछ वर्षों के दौरान कोलंबिया में पलायन करने वाले 7 मिलियन से अधिक वेनेजुएला-नागरिकों पर लागू होगा।
वेनेजुएला-नागरिकों के अपने देश से पलायन करने संबंधी कारण:
- वेनेजुएला, दो प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं द्वारा देश के वैधानिक नेता होने का दावा किये जाने से एक राजनीतिक संकट में घिरा हुआ है।
- वर्तमान में, वेनेजुएला में ‘सत्तावादी’ राष्ट्रपति निकोलस माडुरो का शासन है। राष्ट्रपति माडुरो, यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ वेनेजुएला से संबंधित है।
- पहले कार्यकाल की समाप्ति के बाद, जनवरी 2019 में राष्ट्रपति माडुरो ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू कर दिया। इसके लिए वेनेजुएला के अधिकाँश नागरिकों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अवैध माना जा रहा है।
- वेनेजुएला, आर्थिक संकट से घिरा हुआ है, और यह वर्ष 2014 से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है।
- आर्थिक पतन के बाद से देश में अपराध दर दोगुनी हो गई है और मुद्रास्फीति कई गुना हो गई है। यह हालत, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से और बदतर हो गई।
अमेरिकी भूमिका:
माडुरो ने, देश में वर्तमान हालात के लिए, वेनेजुएला सरकार और सरकारी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है, जिस कारण देश में बेलगाम मुद्रास्फीति (hyperinflation), भोजन और दवा की कमी, बिजली ब्लैकआउट आदि की स्थिति व्याप्त है। माडुरो ने अमेरिका पर, अप्रत्यक्ष रूप से, देश पर शासन करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है।
पृष्ठभूमि:
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, अप्रैल 2019 में देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी में जीवन-यापन कर रही थी, और फरवरी 2020 तक लगभग 4.8 मिलियन वेनेजुएला-वासी लैटिन अमेरिका के अन्य देशों और कैरेबियाई देशों के लिए पलायन कर चुके हैं।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
सदिया भूकंप
- वैज्ञानिकों को असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित हिमबस्ती गाँव में भूकंप का पहला भूगर्भीय साक्ष्य मिला है। इतिहासकारों ने इसे इस क्षेत्र में बड़े विनाश का कारण बने सदिया भूकंप के रुप में दर्ज किया है।
- ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार 1667 ईस्वी में आए इस भूकंप ने सदिया शहर को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था।
- यह खोज पूर्वी हिमालय क्षेत्र में भूंकप की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने और उसके अनुरुप यहां निर्माण गतिविधियों की योजना बनाने में मददगार हो सकती है।