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डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिएG.S. Paper-II
विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council– WGC) के अनुसार, भारत में सोने की मांग कोविड-19 के कारण लगाये गए लॉकडाउन और रिकॉर्ड उच्च कीमतों के कारण वर्ष 2020 में पिछले 25 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. वर्ष 2020 में सोने की कुल मांग 446.4 टन रही जबकि वर्ष 2019 में यह 690.4 टन थी.
मुद्रा के रूप में: 20 वीं शताब्दी के दौरान अधिकांश काल तक सोने को वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता रहा. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वर्ष 1971 तक स्वर्ण-मानक (Gold Standard) का प्रयोग किया जाता रहा.
मुद्रास्फीति के विरुद्ध एक बचाव के रूप में: अंतर्निहित मूल्य और सीमित आपूर्ति के कारण मुद्रास्फीति के समय में सोने की मांग में वृद्धि हो जाती है. चूंकि, इसे पतला अथवा डाईल्यूट नहीं किया जा सकता है, इसलिए सोना, मुद्रा के अन्य स्वरूपों की तुलना में, बेहतर कीमत बनाए रखने में समर्थ होता है.
मौद्रिक शक्ति: जब कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है, तो उसकी मुद्रा के मूल्य में ह्रास हो जाता है. वहीं दूसरी ओर, यदि कोई देश शुद्ध निर्यातक होता है, तो उसकी मुद्रा के मूल्य में वृद्धि हो जाती है. इस प्रकार, जो देश सोने का निर्यात करते हैं अथवा उनके पास स्वर्ण भण्डार होते हैं, तो सोने की कीमतों में वृद्धि होने पर उनकी मौद्रिक शक्ति में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि उनके सकल निर्यात का मूल्य बढ़ जाता है.
पाकिस्तान ने विश्व बैंक के साथ अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए यह कहा है कि भारत की यह परियोजना सिंधु जल संधि के अनुरूप नहीं थी. हालांकि भारत ने कहा है कि यह IWT की शर्तों का उल्लंघन नहीं करती है. पर दोनों देशों द्वारा वर्ष 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसके अंतर्गत सिंघु, झेलम और चिनाब नदी पाकिस्तान के लिए आरक्षित हैं, जबकि रावी, ब्यास और सतलज नदियां भारत के लिए आरक्षित हैं