

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
विश्व बैंक की STARS परियोजना
12th October, 2020
G.S. Paper-II (International)
यह क्या है?
- STARS का पूर्ण स्वरुप(Strengthening Teaching-Learning and Results for States Program–STARS) है।
- STARS, छह भारतीय राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और शासन में सुधार करने हेतुविश्व बैंक समर्थित एक परियोजना है। परियोजना में सम्मिलित छह राज्य– हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान हैं।
- इस परियोजना से5 मिलियन स्कूलों में 10 मिलियन शिक्षक और 250 मिलियन स्कूली छात्र लाभान्वित होंगे।
परियोजना के अंतर्गत सुधार:
- स्कूल सुधार की दिशा में स्थानीय स्तर पर विशिष्ट रूप से निर्मित उपायों के माध्यम सेराज्य, जिला और उप जिला स्तरों पर शिक्षा सेवाओं के प्रतिपादन पर ध्यान केंद्रित करना।
- अध्ययन गुणवत्ता का आकलन करने हेतु बेहतर डेटा संग्रह करना;
- बृहत्तर जवाबदेही तथा समावेशनहेतु हितधारकों, विशेष रूप से माता-पिता की मांगों का समाधान करना;
- कमजोर वर्ग के छात्रों पर विशेष ध्यान देना।
- इन परिवर्तनों के प्रबंधन हेतुशिक्षकों को तैयार करना।
- भारत की मानव–पूंजी आवश्यकताओंको पूरा करने हेतु प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों की शिक्षा पर निवेश करना, तथा इनका संज्ञानात्मक, सामाजिक-व्यवहार और भाषा कौशल विकास सुनिश्चित करना।
आत्मनिर्भर भारत तथा शिक्षा:
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ ऐसे भारत का आह्वान करता हैजो अपने नागरिकों के लिए स्थानीय वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन और वितरण करने में सक्षम हो। यह ‘सभी बच्चों के लिए शिक्षा’ पर भी समान रूप से लागू होता है।
- विशाल तथा विविधता युक्त जनसँख्या को देखते हुए, शिक्षा जैसी सेवाओं के वितरण हेतु ‘सक्षम–राज्य’का होना आवश्यक होता है।
- राज्य की क्षमता-निर्माण के अंतर्गत ‘अपनी चीजों को स्वतः करने के बारे में सीखने की प्रक्रिया’ सम्मिलित होती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’अवधारणा का मूलतः यही आधार है। इसलिए, मूलतः इसे आउटसोर्स नहीं किया जा सकता है।
- दूसरे शब्दों में,राज्य की क्षमता का अर्थ, सरकार में सरकार द्वारा कार्यों का निष्पादन करना है। इसके अंतर्गत, सरकार द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना तथा विभिन्न सुधारों को लागू करने में सक्षम होने भी सम्मिलित होता है।
राज्य क्षमता निर्माण हेतु STARS का दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण क्यों है?
- बुनियादी क्षमता संबंधी विषयों के समाधान में विफलता:STARS के अंतर्गत, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (DIETs), जिला और ब्लॉक शिक्षा कार्यालयों तथा स्कूलों में शिक्षकों की रिक्तियों को भरने पर ध्यान नहीं दिया गया है।
- विकेंद्रीकृत निर्णय–लेने हेतु, शक्ति प्रदान करना तथा वित्त–अंतरण करना अनिवार्य होता है, STARS के अंतर्गत इस तथ्य की अनदेखी की गयी है। इस हेतु, अग्रिम पंक्ति के अधिकारी-तंत्र क्षमता में निवेश के साथ सामाजिक जवाबदेही को बढ़ावा देते हुए इनकी विवेकाधीन शक्तियों में वृद्धि करना भी आवश्यक होता है।
- विश्व बैंक परियोजना में ‘विश्वास’ की पूरी तरह से अनदेखी की गईहै। इसके स्थान पर, बैंक से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) पर पूरी तरह निर्भर करता है, जिसमे साक्ष्यों के आधार पर प्रतिपुष्टि का अभाव होता है।
- ‘निजी पहलों का विस्तार’ तथा ‘सरकारी कार्यों को कम करना’ के माध्यम से बुनियादी प्रशासनिक कार्यों को आउटसोर्स करना, शिक्षा को ’स्थानीय आवश्यकताओं के लिए अधिक प्रासंगिक’ या ‘स्थानीय अधिकारियों को सशक्त बनाकर लोकतांत्रिक रूप से लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देना’ जैसे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है।
आगे की राह:
- प्रशासन को पर्याप्त भौतिक, वित्तीय और मानव संसाधनों से युक्त होना चाहिए। प्रशासनिक रिक्तियां तथा अधिकारियों पर काम का अतिरिक्त भार, परियोजना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हानिकारक है।
- आवश्यक होने पर, प्रशासनिक सुधारों के अंतर्गत, स्थानीय मामलों को हल करने हेतु संबंधित अधिकारियों को विवेकाधिकार दिया जाना चाहिए।
- इस हेतु, प्रशासन में विभिन्न स्तरों पर तथा अपने सहकर्मियों पर विश्वास होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की ‘स्वामित्व योजना’
G.S. Paper-II (National)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2020 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख की जयंती पर स्वामित्व योजना की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि कि आज आपके पास एक अधिकार है, एक कानूनी दस्तावेज है कि आपका घर आपका ही है, आपका ही रहेगा.
मुख्य बिंदु-
- प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस योजना को ग्रामीण भारत में बदलाव लाने वाली ऐतिहासिक पहल बताया है.
- सरकार की इस पहल से ग्रामीणों को अपनी जमीन और संपत्ति को एक वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी जिसके एवज में वह बैंकों से कर्ज और दूसरा वित्तीय फायदा उठा सकेंगे.
- योजना की लॉन्चिंग के ये लाभार्थी छह राज्यों के 763 गाँवों से हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के दो गांव शामिल हैं.
- बयान के मुताबिक महाराष्ट्र को छोड़कर इन सभी राज्यों के लाभार्थियों को एक दिन के भीतर अपने संपत्ति कार्ड की भौतिक रूप से प्रतियां प्राप्त होंगी. महाराष्ट्र में संपत्ति कार्डों के लिये कुछ राशि लिये जाने की व्यवस्था है, इसलिए इसमें एक महीने का समय लगेगा.
स्वामित्व योजना क्या है?
- स्वामित्व योजना पंचायती राज मंत्रालय की योजना है. प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती दिवस पर इसकी शुरूआत की थी. योजना का उदेश्य ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकों को अधिकार संबंधी रिकार्ड से संबद्ध संपत्ति कार्ड उपलब्ध कराना है. पीएमओ के मुताबिक इस योजना को चरणबद्ध तरीके से चार साल (2020-24) में पूरे देश में लागू किया जाना है. इसके दायरे में लगभग 6.62 लाख गांव आएंगे.
स्वामित्व योजना कैसे लागू होगा-
- स्वामित्व योजना केंद्र सरकार की योजना है. इस लागू करने के लिए नोडल एजेंसी पंचायती राज मंत्रालय है. राज्यों में इसे लागू करने के लिए राजस्व विभाग या लैंड रिकॉर्ड्स डिपार्टमेंट को नोडल विभाग बनाया गया है जो राज्य के पंचायती राज्य विभाग के सहयोग से इस योजना को लागू करेगा. इस योजना को लागू करने में सर्वे ऑफ इंडिया तकनीकी सहयोगी के रूप में कार्य करेगा.
स्वामित्व योजना के लाभ-
- इस योजना के अंतर्गत ड्रोन सर्वे तकनीक की सहायता से गांव के आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन किया जाएगा. इससे गांव में रहने वाले लोगों को अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड्स ऑफ राइट्स हासिल होगा. इस योजना से ग्रामीण योजना के लिए जमीन के सटीक आंकड़े मिलेंगे और प्रॉपर्टी टैक्स के आकलन में सरकार को मदद मिलेगी. इसके अतिरिक्त इससे जमीन से जुड़े कानूनी झगड़े कम करने में मदद मिलेगी.
डिटेंशन सेंटर (Detention Centre)
G.S. Paper-II (National)
चर्चा में क्यों?
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वह विदेशी डिटेंशन सेंटर (foreigners Detention Centre) को जेल के बाहर स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाए।
विदेशी डिटेंशन सेंटर-
- डिटेंशन सेंटर उस जगह को कहते हैं जहां गैर–कानूनी तरीके (बिना जरूरी वैध दस्तावेजों के) से देश में घुसने वाले विदेशी लोगों को रखा जाता है।
- कोई व्यक्ति यहाँ तब तक रहता है जब तक कि वह अपनी नागरिकता साबित नहीं कर देता। यदि कोई व्यक्ति ट्रिब्यूनल/अदालत द्वारा विदेशी घोषित हो जाता है तो उसे अपने देश वापसी तक इसी सेंटर में रखा जाता है।
- डिटेंशन सेंटर का मकसद द फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वाले विदेशी लोगों को कुछ समय के लिए डिटेंशन सेंटर में रखना है, जब तक कि उनका प्रत्यर्पण न हो जाये।
- विदेशी कानून 1946 की धारा 3 (2) (c) के अनुसार, भारत सरकार के पास देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने का अधिकार है।
- इस कानून की धारा 3 (2) (e) में प्रावधान किया गया है कि कोई राज्य चाहे, तो वह भी डिटेंशन सेंटर बना सकता है।
- इसके अलावा 1920 के पासपोर्ट अधिनियम के अनुसार भारत सरकार किसी भी ऐसे व्यक्ति को देश से सीधे निकाल सकती है जो वैध पासपोर्ट या फिर वैध दस्तावेज के बिना देश में घुसा है।
- विदेशी नागरिकों के मामलों में भारत सरकार को ये शक्ति संविधान के अनुच्छेद 258(1) और अनुच्छेद 239 के तहत मिली हुई है, जिसमें वो विदेशी नागरिकों की गतिविधियों को प्रतिबंधित कर सकती है।
कहाँ बनाए गए हैं ये डिटेंशन सेंटर-
- भारत में असम में वर्ष 2012 में तीन जेलों के अंदर ही डिटेंशन सेंटर बनाया था।
- ये डिटेंशन सेंटर गोलपाड़ा, कोकराझार और सिलचर के ज़िला जेलों के अंदर बनाया गए थे।
- तीन अन्य डिटेंशन सेंटर तेजपुर, डिब्रूगढ़ और जोरहाट ज़िले की जेल के अंदर बनाए गए है।
- केंद्र सरकार ने द फॉरेनर्स एक्ट, 1946 के सेक्शन 3(2) और फॉरेनर्स ऑर्डर, 1948 के पारा 11(2) के तहत सभी राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने का अधिकार दिया है और उसी के तहत ये डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
अमृत मिशन
हाल ही में केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में अमृत (AMRUT) मिशन के तहत किये गए कार्यों की सराहना की।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने 31 मार्च, 2021 तक विस्तारित मिशन अवधि के भीतर सभी परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि केंद्रीय सहायता का लाभ उठाया जा सके।
- इन दो पहाड़ी राज्यों के मामले में अमृत मिशन के तहत केंद्रीय सहायता की राशि 90% है।
- अमृत (AMRUT) मिशन के तहत हिमाचल प्रदेश में 32 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और 41 परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं।
- इस मिशन के तहत उत्तराखंड में 593 करोड़ रुपए की कुल 151 परियोजनाएँ शामिल हैं। इनमें से 47 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और 100 परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं।
- हिमाचल प्रदेश को अमृत (AMRUT) मिशन के तहत की गई राष्ट्रीय रैंकिंग में15वाँ और उत्तराखंड को 24वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।