

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
रूस में दो भारतीय फ्लाइट सर्जनों का प्रशिक्षण
G.S. Paper-III
संदर्भ
रूस द्वारा गगनयान मिशन के लिए भारत के दो फ्लाइट सर्जनों को एयरोस्पेस चिकित्सा में प्रशिक्षित किया जाएगा.
फ्लाइट सर्जन-
- फ्लाइट सर्जन भारतीय वायुसेना के डॉक्टर हैं और उन्हें एयरोस्पेस मेडिसिन में विशेषज्ञता हासिल है.
- फ्लाइट सर्जन, उड़ान के दौरान और इसके बाद में अंतरिक्षयात्रियों की सेहत के लिए जिम्मेदार होते हैं.
गगनयान मिशन के बारे में-
- भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत 2022 में अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री भेजेगा. इस मिशन कोगगनयान मिशन का नाम दिया गया है.
गगनयान के आनुषंगिक लाभ-
- देश में विज्ञान और तकनीक के स्तर में वृद्धि.
- अनेक संस्थानों, शिक्षण संस्थानों और उद्योग को एक राष्ट्रीय परियोजना से जुड़ने का अवसर.
- औद्योगिक वृद्धि में सुधार.
- युवजनों को प्रेरणा.
- सामाजिक लाभ के लिए तकनीक का विकास.
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में बढ़ोतरी.
भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम-
- इस कार्यक्रम (Gaganyaan mission) का उद्देश्य पृथ्वी कक्ष में एक ऐसा अन्तरिक्ष यान प्रक्षेपित करना है जिसमें दो अथवा तीन अन्तरिक्षयात्री सवार हों.
- इसके लिए शुरू में अन्तरिक्ष में पृथ्वी के ऊपर 400 km की दूरी पर स्थित परिक्रमा पथ पर 2-3 अन्तरिक्ष यात्रियों को 7 दिन के लिए भेजा जाएगा.
- इसके लिए भारत सरकार ने पिछले बजट में4 billion की राशि निर्धारित कर दी है.
- इस अंतरिक्षयान का प्रक्षेपणजीएसएलवी मार्क III द्वारा किया जाएगा.
तकनीकी चुनौतियाँ-
ISRO को तीन प्रमुख क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है –
- i) पर्यावरण नियंत्रण और जीवनरक्षक प्रणाली (ECLS system)
- ii) चालक दल सुरक्षा प्रणाली और
- iii) फ्लाइट सूट सुविधा. इन चुनौतियों के समाधान करने के लिए सरकार ने आवश्यक तैयारी हेतु 145 करोड़ रूपए स्वीकृत किये हैं.
हाल ही में किये गए तकनीकी प्रयोग-
- पिछले वर्ष ISRO ने “PAD ABORT” अर्थात् अन्तरिक्ष यात्री उद्धार प्रणाली का सफल परीक्षण किया था.
- इस प्रणाली के माध्यम से यदि कभी प्रक्षेपण विफल हो जाता है तो उस समय अन्तरिक्ष यात्री उससे बाहर निकलकर अपने प्राण बचाने में समर्थ हो जाते हैं.
- यह परीक्षण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र में हुआ था.
- विदित हो कि अगर भारत इस मिशन (गगनयान मिशन) को सफलतापूर्वक लौंच करता है, तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा राष्ट्र बन जायेगा.
सफल मानव अन्तरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक है कि हम यात्रा के पश्चात् अन्तरिक्ष यात्रियों को सकुशल पृथ्वी पर वापस ला सकें और साथ ही यह अन्तरिक्ष यान ऐसा हो कि उसमें बैठे अन्तरिक्षयात्री पृथ्वी जैसी दशाओं में रह सकें.