

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
राजकोषीय घाटा सालाना लक्ष्य के 120 प्रतिशत पर पहुंचा
G.S. Paper-III
संदर्भ:
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर के अंत तक बढ़कर 9.53 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो सालाना बजट अनुमान का करीब 120 प्रतिशत है।
कारण:
- राजकोषीय घाटे में वृद्धि का मुख्य कारण राजस्व संग्रह में कमी होना रहा है।
- कोरोनावायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं, जिससे राजस्व प्राप्ति सुस्त पड़ गई।

‘राजकोषीय घाटा’ क्या होता है?
‘राजकोषीय घाटा’ (Fiscal Deficit), सरकार के गैर–ऋण पूंजी प्राप्तियों (Non-debt Capital Receipts– NDCR) सहित राजस्व प्राप्तियों तथा कुल व्यय के बीच का अंतर होता है।
दूसरे शब्दों में, राजकोषीय घाटा “सरकार की कुल ऋण आवश्यकताओं को दर्शाता है” ।
उच्च राजकोषीय घाटे का प्रभाव:
अर्थव्यवस्था में, निवेश योग्य बचतों का सीमित पूल होता है। इन बचतों का उपयोग वित्तीय संस्थानों, जैसे कि बैंकों, द्वारा निजी व्यवसायों (लघु और बड़े, दोनों प्रकार के) और सरकारों (केंद्र और राज्य) को ऋण प्रदान करने हेतु किया जाता है।
- यदिराजकोषीय घाटे का अनुपात काफी अधिक होता है, तो इसका तात्पर्य है कि बाजार में, निजी उद्यमियों और व्यवसायों को ऋण प्रदान करने हेतु कम राशि बची है।
- बाजार में ऋण प्रदान करने हेतु कम राशि होने से, ऋण पर ब्याज दरें उच्च हो जाती हैं।
- उच्च राजकोषीय घाटे और उच्च ब्याज दरों का तात्पर्य यह भी होता है किभारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को कम करने के प्रयास प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटे का स्वीकार्य स्तर-
विकासशील अर्थव्यवस्था में निवेश करने हेतु प्रायः निजी उद्यमों की तुलना में सरकार बेहतर स्थिति में होती है, और विकसित अर्थव्यवस्था की तुलना में राजकोषीय घाटा अधिक हो सकता है।
- विकासशील अर्थव्यवस्था में सरकारों को राजस्व वृद्धि के पर्याप्त साधन नहीं होने पर भी सामाजिक और भौतिक अवसंरचनाओं पर अग्रिम निवेश करना पड़ता है।
- भारत में, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management – FRBM) अधिनियम के तहत, राजकोषीय घाटे मेंसकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 3 प्रतिशत तक की कमी एक आदर्श स्थिति बताई गयी है। दुर्भाग्य से, सरकारें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ रही हैं।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
शाहतूत बांध
हाल ही में, भारत द्वारा एक बैठक में अफगान सरकार को काबुल के पास शाहतूत बाँध के निर्माण में मदद करने पर सहमति जताई गयी है।
- यह बांध से काबुल शहर के 2 मिलियन लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
- इस बांध का निर्माण काबुल नदी की सहायक, मैदान नदी (Maidan river)पर किया जाएगा।