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डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिएG.S. Paper-III
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical office- NSO) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकल चुकी है, किंतु अभी भी महामारी से पहले जारी विकास दर की वापसी के लिए एक लंबा रास्ता तय करना शेष है।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में, वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में, पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.4% की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2019 में, लगभग पिछले पच्चीस वर्षो के दौरान, देश ने पहली बार मंदी के दौर में प्रवेश किया था, इसके लिए अर्थशास्त्रियों द्वारा चेतावनी भी दी गई थी, कि देश को मंदी से उबरने के लिए संघर्ष करना पद सकता है।
यह एक व्यापक अर्थशास्त्रीय शब्द है, तथा यह दीर्घ काल के लिए आर्थिक गतिविधियों में गिरावट अथवा बड़े पैमाने पर कमी को व्यक्त करता है। अथवा यह कहा जा सकता है कि जब मंदी वाहक या कारकों का दौर लंबी अवधि तक जारी रहता है, तो इसे मंदी कहा जाता है। आमतौर पर, मंदी कुछ तिमाहियों तक ही रहती है।
यह नकारात्मक आर्थिक विकास का गहरा और दीर्घ काल तक जारी रहने वाला समय होता है। इस दौर में कम से कम बारह महीनों तक उत्पादन में कमी होती है तथा जीडीपी में दस फीसदी से अधिक की गिरावट होती है। दूसरे शब्दों में, जब ‘मंदी’ (Recession) की अवधि एक वर्ष या उससे अधिक हो जाती है तो इसे अवसाद अथवा महामंदी (Depression) कहा जाता है।
आईएनएस उत्कर्ष