Online Portal Download Mobile App English ACE +91 9415011892 / 9415011893
डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिएG.S. Paper-II
हाल ही में, केंद्र सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act), 1960 के तहत वर्ष 2017 में जारी किए गए नियमों नियमों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है, और एक याचिका का जवाब देते हुए कहा है, कि नियमों के तहत जानवरों को जब्त करने (Seizure) और अधिहरण करने (Confiscation) में अंतर है।
पिछले सप्ताह, अदालत ने केंद्र सरकार से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, क़ानून के तहत किसी अभियुक्त के अपराधी साबित होने से पहले ही उसके पशुओं के अधिहरण से संबंधित नियमों में संशोधन करने के लिए कहा था। केंद्र द्वारा इसी निर्देश के तहत अपना प्रत्युत्तर दाखिल किया गया।
कुछ समय पूर्व शीर्ष अदालत में बफ़ेलो ट्रेडर्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें अधिकारियों द्वारा मवेशी परिवहन में प्रयुक्त वाहनों को जब्त करने और जानवरों को आश्रय स्थलों (Shelters) पर भेजने जाने संबंधी नियमों की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया कि नियम अधिसूचित किए जाने के बाद से ट्रांसपोर्टरों, किसानों और पशु व्यापारियों को धमकी दी जा रही है।
केंद्र सरकार ने जब्त करने (Seizure) और अधिहरण करने (Confiscation) में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा है, कि ‘जब्ती’ (Seizure) अस्थायी प्रकृति की होती है, जिसमे परिसंपत्ति पर कब्जा मात्र किया जाता है, जबकि अधिहरण (Confiscation), परिसंपत्ति के स्वामित्व-हस्तांतरण के तुल्य होती है और किसी मामले में परिसंपत्ति पर पक्षकारों के अधिकार संबंधी अंतिम निर्णय के बाद ही अधिहरण प्रक्रिया की जाती है।
( Prevention of Cruelty to Animals (Care and Maintenance of Case Property Animals) Rules, 2017):
यदि इस प्रकार की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से और तत्काल रोक नहीं लगाई गयी, तो देश के सामाजिक ताने-बाने पर विनाशकारी परिणाम पड़ेगा।
मणिपुर और नागालैंड की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध जुकोउ घाटी में भीषण आग दो सप्ताह तक भड़कने के बाद बझाई जा सकी है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ।