

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
जुकू घाटी
G.S. Paper-III
चर्चा में क्यों ?
नगालैंड-मणिपुर सीमा पर स्थित जुकू घाटी (Dzukou Valley) की वनाग्नि पर काबू पा लिया गया है।
- 90 वर्ग किमी. में फैली यह हरी-भरी घाटी पहले भी (वर्ष 2006, 2010, 2012 और 2015) वनाग्निकी चपेट में आई है।
प्रमुख बिंदु:
अवस्थिति: जुकू घाटी जिसे ‘फूलों की घाटी’ के रूप में जाना जाता है, नगालैंड और मणिपुर की सीमा पर स्थित है।
विशेषताएँ:
- यह 2,438 मीटर की ऊंचाई पर जापफू पर्वत शृंखला (Japfu Mountain Range) के पीछे स्थित है, यह उत्तर-पूर्व के सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पॉट (Trekking Spots) में से एक है।
- जुकू घाटीऔर जापफू पर्वत पुलीबडज़े वन्यजीव अभयारण्य (नगालैंड) के समीप स्थित हैं।
- इन जंगलों के भीतर मानवीय आवास नहीं हैं, परंतु यह दुर्लभ और ‘सुभेद्य ‘ (IUCN की रेड लिस्टके अनुसार) पक्षी जिनमें बेलीथ ट्रगोपैन (नगालैंड का राज्य पक्षी), रूफस-नेक्ड हार्नबिल और डार्क-रुम्प्ड स्विफ्ट तथा कई अन्य पक्षी शामिल हैं, का आवास स्थल है। इसके अलावा जंगल में लुप्तप्राय वेस्टर्न हूलोक गिबन भी पाए जाते हैं।
- यह घाटी बाँस और घास की अन्य प्रजातियों से आच्छादित है। घाटी में जुकू लिली (लिलियम चित्रांगदा) सहित फूलों की कई स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- इस घाटी को लेकर स्थानीय जनजातियों और मणिपुर/नगालैंड की राज्य सरकारों के बीच संघर्ष की स्थिति रहती है।
- यहाँअंगामी जनजाति के लोगों का निवास है।

विवरण:
- वनाग्निको बुश फायर (Bush Fire) भी कहा जाता है, इसे किसी भी प्राकृतिक व्यवस्था जैसे- जंगल, घास के मैदान, टुंड्रा आदि में पौधों के जलने (अनियंत्रित और गैर-निर्धारित दहन द्वारा) के रूप में वर्णित किया जा सकता है, यह प्राकृतिक ईंधन का उपयोग करते हुए पर्यावरणीय स्थितियों (हवा, स्थलाकृति) के आधार पर फैलती है।
कारण:
- वनाग्नि की अधिकांश घटनाएँ मानव निर्मित होती हैं। मानव निर्मित कारकों में कृषि हेतु नए खेत तैयार करने के लिये वन क्षेत्र की सफाई, वन क्षेत्र के निकट जलती हुई सिगरेट या कोई अन्य ज्वलनशील वस्तु छोड़ देना आदि शामिल हैं।
- उत्तर-पूर्व में वनाग्नि के प्रमुख कारणों में से एकस्लैश–एंड–बर्न (Slash-and-Burn) खेती विधि शामिल है, जिसे आमतौर पर झूम खेती कहा जाता है।
- वनाग्नि की घटना प्रायः जनवरी और मार्च महीनों के मध्य देखी जाती है। उत्तर-पूर्व में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं जो मध्य भारत में स्थित शुष्क पर्णपाती वनों के विपरीत आसानी से आग नहीं पकड़ते हैं।
प्रभाव:
- वनाग्नि के कारण वैश्विक स्तर पर अरबों टन CO2 वायुमंडल में उत्सर्जित होती है, जबकि वनाग्नि और अन्य भूखंडों की आग के धुएँ के संपर्क में आने से बीमारियों के कारण सैकड़ों-हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है।
भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट -2019 के अनुसार:
- भारत में लगभग40% वन आवरण आग की चपेट में हैं, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और मध्य भारत के जंगल सबसे अधिक असुरक्षित हैं।
- जबकि देश मेंसमग्र हरित आवरण में वृद्धि गई है, उत्तर-पूर्व विशेष रूप से मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में वन आवरण घटा है। वनाग्नि इसका एक कारण हो सकती है।
सुरक्षात्मक उपाय:
- वनाग्नि परराष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Forest Fire), 2018
- वनाग्निनिवारण और प्रबंधन योजना।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI)
हाल ही में, नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) द्वारा प्रत्येक आवेदक को अपनी पसंदीदा 22 आधिकारिक भारतीय भाषाओं में से किसी एक में निःशुल्क आईडीएन (Internationalized Domain Name– IDN) का विकल्प देने की घोषणा की गयी है।
- निःशुल्क IDN, आवेदक द्वारा बुक किए गए प्रत्येक IN डोमेन के साथ उपलब्ध होगा।
- यह प्रस्ताव भारत (IDN) डोमेन नाम और स्थानीय भाषा सामग्री के प्रसार को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है।
NIXI के बारे में:
नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (NIXI) भारत के नागरिकों को इंटरनेट तकनीक के प्रसार हेतु वर्ष 2003 से कार्यरत एक गैर-लाभकारी संगठन है।