

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
कावकाज-2020 (Kavkaz-2020)
27th August, 2020
G.S. Paper-II (International)
चर्चा में क्यों?
- भारत, सितंबर माह में रूस में होने वाले बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘कावकाज 2020′ (Kavkaz-2020) या ‘काकेशस-2020’ में भाग लेने के लिए अपनी तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी (Contingent) को भेजेगा।
- कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद भारत पहली बार किसी मेगा मिलिटरी ड्रिल में हिस्सा लेने जा रहा है।
- कावकाज- 2020 सैन्य अभ्यास में भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दूसरे सदस्य देश भी हिस्सा लेंगे ।
- यह मेगा मिलिटरी ड्रिल ऐसे समय में होने जा रही है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से तनाव की स्थिति बनी हुई है। भारत और चीन दोनों ही शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं।
कावकाज– 2020
- यह अभ्यास दक्षिण रूस के अस्ट्राखान क्षेत्र में 15 से 26 सितंबर के बीच आयोजित किया जाएगा।
- इस अभ्यास का लक्ष्य साझेदारी में सुधार लाना है।
- इसमें शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों, भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, कजाखिस्तान, किरगिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के अलावा मंगोलिया, सीरिया, ईरान, मिस्र, बेलारूस, तुर्की, अजरबैजान, आर्मीनिया और तुर्कमेनिस्तान की सेनाएं भी भाग लेंगी।
शंघाई सहयोग संगठन
- शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है ।
- इस संगठन की स्थापना रूस ,चीन, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, उज़्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी।
- अभी इस संगठन वर्तमान में आठ सदस्य देश हैं—रूस ,भारत, कजाकिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान हैं। भारत 2017 में इसका सदस्य बना था। इसके अतिरिक्त , इस संगठन के चार पर्यवेक्षक और छह संवाद सहयोगी सदस्य देश भी हैं।
- शंघाई सहयोग संगठन का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय ‘शासनाध्यक्ष परिषद’ है। इस परिषद की वार्षिक बैठक में सदस्य देशों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं।
- एससीओ का उद्देश्य क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखना है।
- आर्कटिक महासागर से हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर से लेकर बाल्टिक सागर तक फैली दुनिया की करीब 44 प्रतिशत आबादी एससीओ में शामिल देशों की है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट
G.S. Paper-III (Economy)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है।
प्रमुख बिंदु:
- RBI की इस रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट वर्तमान वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में भी जारी रह सकती है।
- वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक की कुल मांग के आकलन से पता चलता है कि COVID-19 महामारी के कारण खपत में भारी गिरावट देखी गई है।
- RBI के अनुसार, खपत में आई इस कमी को दूर करने और अर्थव्यवस्था में पूर्व-COVID दौर की गति को पुनः प्राप्त करने में काफी समय लग सकता है।
आर्थिक सुधार की गति पर लॉकडाउन का प्रभाव:
- इस रिपोर्ट के अनुसार, मई और जून माह में देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन में कुछ ढील के साथ ही अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार देखने को मिला था परंतु देश के कुछ हिस्सों में पुनः लॉकडाउन लागू होने के कारण जुलाई तथा अगस्त में इसका प्रभाव कम होने लगा।
- रेटिंग एजेंसियों के अनुसार, COVID-19 महामारी के नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी में 20% तक की गिरावट का अनुमान है।
- जून 2020 मेंई–वे बिल (e-Way Bill) जारी करने के मामलों में पिछले माह की तुलना में3% का सुधार देखने को मिला हालाँकि जुलाई माह में इसमें केवल 11.4% की ही वृद्धि देखने को मिली।
- पिछले वर्ष की तुलना में जुलाई 2020 में ई-वे बिल जारी करने के मामलों में3% की गिरावट देखने को मिली है।
- ई-वे बिल को घरेलू ट्रेडिंग गतिविधि के संकेतक के रूप में देखा जाता है।
असमानता:
- RBI के अनुसार, इस महामारी ने नई विषमताओं को उजागर किया है।
- इस महामारी के दौरान जहाँ कार्यालयों में प्रबंधन या डेस्क से जुड़े अधिकांश कर्मचारी घरों पर रहकर अपना कार्य करने में सक्षम हैं वहीं अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को कार्यस्थल से अपना कार्य करने पर विवश होना पड़ा है जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
- होटल और रेस्त्रां, एयरलाइंस और पर्यटन जैसे कुछ क्षेत्रों में, रोज़गार के नुकसान के प्रभाव अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक गंभीर रहे हैं।
शहरी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- इस रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी के कारण शहरी खपत में भारी कमी देखने को मिली है।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में यात्री वाहनों और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (Consumer Durables) की बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में घटकर क्रमशः 20% और 33% ही रह गई। साथ ही इस दौरान हवाई यातायात पूरी तरह से बंद रहा था।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- RBI के अनुसार, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर COVID-19 का प्रभाव उतना गंभीर नहीं रहा है।
- खरीफ की बुआई की प्रगति के कारण जुलाई माह में ट्रैक्टरों की बिक्री में5% की वृद्धि देखने को मिली है।
- साथ ही जुलाई माह में मोटरसाइकिल की बिक्री में आई गिरावट में भी सुधार देखने को मिला है।
- हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में दैनिक मज़दूरी में आई कमी के कारण मांग में हुई गिरावट पर पूर्ण सुधार संभव नहीं हो सका है।
- लोगों की आजीविका के छिन जाने और प्रवासी मज़दूरों की समस्या के कारण दैनिक मज़दूरी में आई गिरावट का संकट अभी भी बना हुआ है।
अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रयास:
- COVID-19 के कारण अर्थव्यवस्था की क्षति को कम करने के लिये मार्च से लेकर अबतक RBI द्वारा बाज़ार में लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है।
- इस दौरान RBI ने विकास की गति को मज़बूती और वित्तीय प्रणाली को स्थिरता प्रदान करने के लिये रेपो रेट में 115 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 4% तक कर दिया।
घरेलू निवेश में गिरावट:
- RBI के अनुसार, सितंबर 2019 में सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में की गई कटौती अपेक्षा के अनुरूप निवेश चक्र को पुनः शुरू करने में सफल नहीं रही है।
- अधिकांश कंपनियों द्वारा इस छूट का उपयोग अपने ऋण को कम करने और कैश बैलेंस को बनाए रखने और अन्य मौजूदा परिसंपत्तियों में किया गया।
- गौरतलब है कि सितंबर 2019 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने घरेलू कंपनियों के लिये कर दरों को 22% और नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिये 15% तक करने की घोषणा की थी।
- इन सुधारों के बाद भी वित्तीय वर्ष 2019-20 में जीडीपी और सकल स्थिर पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation-GFCF) का अनुपात घटकर8% रह गया, जो वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 31.9% था।
बैंक धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि:
- वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान 1 लाख रुपए से अधिक के बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में दोगुने से अधिक की वृद्धि देखने को मिली है।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 8,707 मामलों में85 करोड़ रुपए की वित्तीय गड़बड़ी देखी गई ।
- RBI के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान बैंक धोखाधड़ी के कुल मामलों में 80% सार्वजनिक बैंकों और लगभग4% निजी बैंकों से संबंधित थे।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान बैंक धोखाधड़ी की घटना होने और इसका पता चलने का औसत अंतराल 24 माह रहा।
- RBI ने बैंकों द्वारा ‘प्रारंभिक चेतावनी संकेतों’ (Early Warning Signals- EWS) के कमज़ोर कार्यान्वयन, आंतरिक ऑडिट के दौरान EWS का पता न लगाने, फोरेंसिक ऑडिट के दौरान उधारकर्त्ताओं का गैर-सहयोग, अनिर्णायक ऑडिट रिपोर्ट आदि को धोखाधड़ी का पता लगाने में देरी का प्रमुख कारण बताया है।
महँगाई:
- RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee -MPC) के अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही के दौरान भीहेडलाइन मुद्रास्फीति (Headline Inflation) में वृद्धि बनी रह सकती है, परंतु तीसरी तिमाही से इसमें कुछ कमी आने का अनुमान है।
- जुलाई 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति93 प्रतिशत पर थी, जो ऊपरी सहिष्णुता सीमा (6%) से अधिक थी।
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee -MPC):
- RBI की मौद्रिक नीति समिति का गठन वर्ष 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (RBI Act) में संशोधन के माध्यम से किया गया था।
- मौद्रिक नीति समिति के कुल 6 सदस्यों में से 3 सदस्य RBI से होते हैं तथा अन्य 3 सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
- मौद्रिक नीति समिति अन्य कार्यों के साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने हेतु रेपो दर तय करने का कार्य करती है।
सुझाव:
- COVID-19 महामारी की समाप्ति के पश्चात संभावित घाटे को कम करने और वित्तीय स्थिरता के साथ अर्थव्यवस्था को मज़बूत तथा सतत् विकास के मार्ग पर लाने हेतु उत्पाद बाज़ारों, वित्तीय क्षेत्र, विधि एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा से जुड़े व्यापक संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता होगी।
- RBI के अनुसार, परिसंपत्ति मुद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के निजीकरण से प्राप्त धन के माध्यम से लक्षित सार्वजनिक निवेश को अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने का एक व्यवहारिक उपाय बताया है।
- RBI के अनुसार, संरचनात्मक सुधारों और अवसंरचना परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन हेतु ‘वस्तु और सेवा कर परिषद’[Goods and Services Tax (GST) Council] की तरह ही भूमि, श्रम तथा ऊर्जा के क्षेत्र में भी शीर्ष निकायों की स्थापना की जा सकती है
वारली चित्रकारी
(Warli Painting)
G.S. Paper-II (National)
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय लोक कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, उर्वरक विभाग के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (NFL) द्वारा नोएडा स्थित अपने कॉर्पोरेट कार्यालय की बाहरी दीवारों को महाराष्ट्र की प्रसिद्ध वरली पेंटिंग से सजाया गया है।
‘वारली’ कौन हैं?
- वारली (Warlis), महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर पहाड़ी एवं तटीय इलाकों में रहने वाली एक एक देशी जनजाति है।
- इनकी बोली ‘वारली’ है, इस बोली की कोई लिपि नही है, अर्थात यहअलिखित भाषा है और इसका संबंध भारत के दक्षिणी क्षेत्र की इंडो–आर्यन भाषाओं से है।
वारली चित्रकारी:
- महाराष्ट्र अपनीवारली लोक-चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।
- वारली चित्रकारी के चित्रभीमबेटका की शैल गुफाओं के चित्रों के समान हैं।
- यह मनुष्य और प्रकृति के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाती है।
- इसमेंकेंद्रीय विषय के रूप में शिकार, मछली पकड़ने, खेती, त्योहारों और नृत्यों, पेड़ों और जानवरों को चित्रित करने वाले दृश्यों का उपयोग किया जाता है।
- वारली चित्रकारीमुख्यतः महिलाओं द्वारा की जाती है।
अनूठी विशेषताएं:
इन भित्तिचित्रों में वृत्त, त्रिकोण तथा वर्ग की भांति एक बहुत ही मौलिक चित्रात्मक शब्दावली का उपयोग किया जाता है।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
हनी मिशन
(Honey Mission)
- इस योजना को वर्ष 2017 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा शुरू किया गया था। KVIC ने अपने हनी मिशन कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों के लिए स्थानीय और स्व-रोजगार का निर्माण करके ‘आत्मनिर्भर भारत‘ की दिशा में एक बड़ा प्रयास किया है।
- इसका उद्देश्य भारत के शहद उत्पादन को बढ़ाते हुए आदिवासियों, किसानों, बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को मधुमक्खी पालन में लगाकर रोजगार सृजन करना है।
- इस कदम से देश भर में 13,500 लोगों को लाभ हुआ है और लगभग 8500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया गया है।