इसके साथ ही गंगा नदी के किनारों को कटान से बचाने के लिए नदी के दोनों किनारों पर पीपल, पाकड़, आम, जामुन और बरगद जैसे पौधे लगाए जाएंगे।गंगानदीकेकिनारोंपरकिनारेअधिकसेअधिकवृक्षारोपणहेतुप्रत्येकजिलेमेंगंगानर्सरीविकसितकीजाएगी। वृक्षारोपण को सफल बनाने के लिए गंगा किनारे लगने वाले सभी पौधों की वन विभाग द्वारा जियो टैगिंग की जाएगी जिससे पौधों की चोरी को रोका जा सके।
गंगा के दोनों किनारों पर स्थितगांवोंमेंखेलोंकोबढ़ावादेनेकेलिएनदीकेकिनारेबसेगांवोंमेंगंगास्टेडियमभीबनाएजाएंगे।
इसके साथ ही योजना के तहत नदी के किनारे स्थित तालाबों का नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण भी प्रस्तावित है।
पृष्ठभूमि-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस वर्ष सितम्बर में नमामि गंगे अभियान को एक नए स्तर पर ले जाते हुए गंगा नदी की स्वच्छता के अलावा अब गंगा से सटे पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के विकास पर एक समन्वित नीति की घोषणा की गयी थी।
इसके तहत सरकार द्वारा गंगा किनारे सभी राज्यों के किसानों को जैविक खेती, आयुर्वेदिक पौधों की खेती का लाभ दिलाने के लिए व्यापक योजना बनाई गई है।
इसी नीति के आलोक में गंगा जी के दोनों ओर पेड़-पौधे लगाने के साथ ही ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ा कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है।
प्रस्तावित आर्गेनिक फार्मिंग कॉरिडोर से संबन्धित जानकारी-
योजना के अनुसार, गंगाकेदोनोंकिनारोंपरबसेगांवोंकेकिसानोंद्वारारसायनोंजैसेउर्वरकों, कीटनाशकोंआदिकेउपयोगकोहतोत्साहितकरकेजैविककृषिकोअपनानेकेलिएप्रोत्साहितकियाजाएगा।
किसान जैविक रूप से फलों, अनाजों, फूल आदि की कृषि को अपनाएं, इसके लिए किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
सरकार देश और साथ ही विदेशों में जैविक उत्पादों की मांग को देखते हुए जैविक खेती को आगे बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश की सरकार जैविक खेती संवर्धन योजना के माध्यम से एक साथ तीन प्रमुख लक्ष्यों पर काम कर रही है। पहला लक्ष्य गंगा की स्वच्छता और संरक्षण; दूसरा किसानों की आय बढ़ाना और तीसरा राज्य में बड़ी मात्रा में जैविक फसलों का उत्पादन करना है।
इस योजना के तहत किसानों को रियायती मूल्य पर आवश्यक उपकरण प्रदान किए जाएंगे, साथ ही इसके लिए प्रशिक्षण और जानकारी भी दी जाएगी। विभाग इस योजना के लिए जैविक फसलों, उत्पादों की पहचान करने और विशेष बाजार उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में भी कार्य कर रहा हैं।
गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। राज्य सरकार उन जिलों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है, जहां से गंगा गुजरती है।
सरकार द्वारा गंगा के मैदानी इलाकों में जैविक खेती, प्राकृतिक खेती और बागवानी को बढ़ावा देने से किसानों के लिए आय अर्जित करने का एक नया और विविध मंच उपलब्ध हो सकेगा।
जैव उर्वरक अन्य रासायनिक उर्वरकों से न केवल सस्ता होता है बल्कि यह पौधों में वृद्धि कारक हॉर्मोन उत्पन्न करते हैं, जिनसे उनकी वृद्धि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और फसल में मृदाजन्य रोग नहीं होते हैं।
भारत में जैविक खेती से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दु-
भारत जैविक खेती करने वाले किसानों की कुल संख्या के मामले में पहले स्थान पर आता है और जैविक खेती के तहत कुल रकबे की दृष्टि से नौवें स्थान पर है।
भारत से जैविक निर्यात मुख्यतः अलसी के बीज, तिल, सोयाबीन, चाय, औषधीय पौधों, चावल और दालों का होता रहा है जो वर्ष 2018-19 में हुए 5151 करोड़ रुपये के कुल जैविक निर्यात किया गया था।
तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) लिमिटेड द्वारा हाल ही में, 24 परगना जिले में स्थित बंगाल बेसिन केअसोकनगर –1 कुएंसेकच्चेतेलकाउत्पादन शुरू किया गया है।
इसके साथ ही बंगालबेसिनभारतकातेलएवंगैसकाउत्पादनकरनेवालाआठवांबेसिनबनगयाहै।अन्य उत्पादक बेसिन, कृष्णा-गोदावरी (KG), मुंबई ऑफशोर, असम शेल्फ, राजस्थान, कावेरी, असम-अराकान फोल्ड बेल्ट और काम्बे हैं।
भारतमें 26 अवसादीबेसिन हैं, जो कुल 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत हैं। इनमें से 16 स्थलीय बेसिन हैं, 7 बेसिन स्थलीय और सागरीय क्षेत्रों, दोनों में अवस्थित हैं और तीनपूर्णतयःअपतटीयबेसिन हैं।