

डेली करेंट अफेयर्स 2020
विषय: प्रीलिम्स और मेन्स के लिए
आयुर्वेद के भाग के रूप में सर्जरी
G.S. Paper-II
संदर्भ:
हाल ही में, सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर छात्रों के लिए अनिवार्य सर्जिकल प्रक्रियाओं के संदर्भ में अधिसूचना जारी की है।
आयुर्वेद में शल्यचिकित्सा / सर्जरी की स्थिति-
आयुर्वेद में शल्यचिकित्सा की दो शाखाएँ हैं:
- शल्य तंत्र(Shalya Tantra): यह सामान्य शल्य चिकित्सा से संबंधित है, और
- शलाक्य तंत्र (Shalakya Tantra): यह आंख, कान, नाक, गले और दांतों की सर्जरी से संबंधित है।
आयुर्वेद के सभी स्नातकोत्तर छात्रों को इन पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना होता है, और इनमें से कुछ छात्र विशेषज्ञता हासिल करके आयुर्वेद सर्जन बन जाते हैं।
अधिसूचना से पहले, स्नातकोत्तर छात्रों हेतु जारी नियम-
वर्ष 2016 के नियमों के अनुसार, स्नातकोत्तर छात्रों को शल्य तंत्र, शलाक्य तंत्र, और प्रसूति एवं स्त्री रोग (Obstetrics and Gynecology), तीन विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करने की अनुमति है।
- इन तीनों क्षेत्रों में प्रमुख सर्जिकल प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं।
- इन तीन विषयों के छात्रों को MS (आयुर्वेद में सर्जरी में मास्टर) की डिग्री प्रदान की जाती है।
अधिसूचना का निहितार्थ –
- अधिसूचना में58 सर्जिकल प्रक्रियाओं का उल्लेख है जिनमे स्नातकोत्तर छात्रों के लिए प्रशिक्षित करना और स्वतंत्र रूप से सर्जरी करने की क्षमता हासिल करनी होगी।
- अधिसूचना में जिन शल्यचिकित्साओं का उल्लेख किया गया है, वे सभी पहले से ही आयुर्वेद पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
- अब, रोगियों को आयुर्वेद चिकित्सकों की क्षमताओं के बारे में ठीक से पता चल सकेगा। स्किल-सेट को स्पष्टतया परिभाषित किया गया है।
- यह आयुर्वेद चिकित्सक की क्षमता पर लगे हुए प्रश्न चिह्नों को हटा देगा।
भारतीय चिकित्सक संघ (IMA) की आपत्तियां-
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा इस अधिसूचना की तीखी आलोचना की गयी है। IMA ने इन प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन हेतु आयुर्वेद चिकित्सकों की क्षमता पर सवाल उठाया है, और अधिसूचना को ‘मिक्सोपैथी’ (Mixopathy) का प्रयास बताया है।
- आईएमए के डॉक्टर्स का कहना है, कि वे प्राचीन चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों के विरोध में नहीं हैं।
- किंतु, इनके अनुसार, नई अधिसूचना इस संकेत देती है, किआधुनिक सर्जरी प्रक्रियाओं को पूरा करने हेतु आयुर्वेद चिकित्सकों का कौशल या प्रशिक्षण, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर्स के समान हैं।
- इनका कहना है कि, यह भ्रमित करने वाला है, और ‘आधुनिक चिकित्सा के अधिकार क्षेत्र और दक्षताओं में अतिक्रम’ है।
प्री के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (GBS)
संदर्भ:
एक दुर्लभ जटिल मामले में, कोविड -19 से संक्रमित कुछ रोगियों को गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome- GBS) से पीड़ित पाया गया है। भारत में अगस्त से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
- यह एक बहुत ही दुर्लभस्वप्रतिरक्षी विकार (Autoimmune Disorder) है।
- इसमें रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोनोवायरस को नष्ट करने के प्रयास में गलती सेपरिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) पर हमला करना शुरू कर देती है।
- परिधीय तंत्रिका तंत्र तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क होता है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी द्वारा शरीर के विभिन्न हिस्सों से संबद्ध होता है। इस पर हमला करने से शरीर के अंगों की कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (GBS), बैक्टीरिया या वायरल संक्रमणके कारण होता है।
- सिंड्रोम से प्रभावित होने के प्रारम्भिक लक्षणों में त्वचा में झुनझुनी या खुजली की अनुभूति होती है, इसके बाद मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और सुन्न होने लगती है।